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शिश्न

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शिश्न एक जनेन्द्रिय अहइ, जउन कइ जरिए नर अउर उभयलिंगी जनावर अपने बीज क निकालत हीं, अउर नर गर्भपोषी स्तनधारी अउर धानीधारी जनावरन मा एही क जरिये मूत्र क निकासो करत हीं। ई जनेन्द्रिय बहुत सारे कशेरुकी अउर अकशेरुकी प्रजातियन मा समागम के दौरान प्रयोग मा आवत ह, बाकिर सबहिं मा नाहीं।


अवधी में शिश्न क लिंग भी कहत हीं, पर इन दुनों शब्दन के प्रयोग मा अंतर अहइ। जहाँ शिश्न क प्रयोग वैज्ञानिक अउर चिकिस्सीय संदर्भन मा होत ह, ओहिजे लिंग क प्रयोग आध्यात्मिक अउर धार्मिक सन्दर्भन से जुड़ल अहइ। दूसरे अर्थन मा लिंग शब्द क प्रयोग कउनो ब्यक्ति के नर या मादा होइके बोध करावे खातिर भी होत ह।

बाहरी जननेन्द्रियन के विकास डेवोनियन काल मा भवा, करीब ४१० करोड़ साल पहिले, जब चतुष्पद जीव जल परिवेश छोड़ै लागेन। असल मा, प्रजनन कोशिकन क छोड़ै खातिर द्रव अवस्था के अभाव क समाधान आंतरक निषेचन के रूप मा मिल्यो, जेहसे ई संभव भवा।

शिश्न एक प्रविष्टिकारक अंग अहइ, जउन नर से मादा के जनन मार्ग (जइसे योनि या क्लोअका) मा शुक्राणु पहुँचा कर संभावित निषेचन क लिहाज से प्रयोग मा लावल जात ह। अलग-अलग जनावर समूहन् क शिश्न आपस मा समजात (homologous) नाहीं अहइं, बलुक विकासक्रम मा ई कई बेर स्वतंत्र रूप से अलग-अलग विकसित भइ हैं।

स्तंभन मतलब शिश्न क तनिके अउर खड़ा होइका प्रक्रिया, जेहमें यौन उत्तेजना के दौरान ई बदलाव होत ह, हालाँकि कइयौ बेर ई गैर-यौन स्थितिन मा भी होइ सकत ह।

वीर्यपात के दौरान, मासपेशियन क एक क्रमबद्ध संकुचन के जरिये शिश्न से वीर्य बाहर आवत ह, जेमा नर जनन कोशिका (शुक्राणु) होत हीं। वीर्यपात आमतौर पर कामोन्माद (orgasm) के संग होइला।

अधिकतर नर चिरई (जइसे मुर्गा अउर टर्की) मा क्लोअका होत ह (जऊन मादा मा भी होइला), पर उनहन मा शिश्न नाहीं होत। जे चिरई प्रजातियन मा शिश्न पावल जात ह, उहमा पेलिओग्नैथ (टिनामू अउर रैटाइट्स) अउर एनाटिडी (बतख, हंस, अउर हंसराज) सामिल हीं। एंसेरानेटिडी परिवार मा आवे वाली मगपाई गूज मा भी शिश्न होत ह।

चिरइन क शिश्न, स्तनधारियन क शिश्न से संरचना मा भिन्न होइत ह — ई बतखन मा क्लोअका क भीतरी दीवार क एक स्तंभ्य विस्तार हवे, अउर ई रक्त नाहीं बल्कि लसीका (lymph) से स्तंभित होत ह। ई सामान्यतः कुछ हद तक पंख से ढँकल होइला, अउर कइ प्रजातियन मा ई मा कांटेन अउर झाड़ू-जइसन रेशा होइत ह। ढीला अवस्था मा ई शिश्न क्लोअका के भीतर मुरुकल रहत ह।

जइसे शरीर के दूसर गुणन मा भिन्नता होत ह, वइसहीं शिश्न के लंबाई अउर मोटाई भी अलग-अलग स्तनधारी प्रजातियन मा बहुत भिन्न हो सकत ह। बहुतरे स्तनधारियन मा, जब शिश्न स्तंभित नाहीं होत, त ई अग्रच्छद के भीतर भीतर खिंच जाला। स्तनधारी जीवन् मा शिश्न के दू प्रकार होइथें - मांसपेशीय-गुहात्मक (musculocavernous) शिश्न, जे स्तंभन के समय फइल जाला। अथवा तन्तुमय-लचीला (fibroelastic) शिश्न, जे बिना फइलले, सीधे होइके स्तंभित होइला।

कछू स्तनधारियन के अग्रच्छद मा अग्रच्छद ग्रंथियाँ (preputial glands) भी पावल जालीं।

नर कीट-पतंगन मा, शिश्न से मिलत-जुलत जे सरंचना होइले, ओके एडीएगस (aedeagus) कहत जात ह।

अनेक नीच अकशेरुकी जीव जइसे कृमि वगैरह मा, नर संयोग अंग के अक्सर सिरस (cirrus) कहत जात ह।