शिश्न मुण्ड
नर मनई क देह रचना मा, लिंगमुण्ड (glans penis) या लिंग क मुण्ड, जेकरा आमतौर प glans कहिथ, (/'ɡlænz/; लैटिन शब्द glans से, जेकर मतलब "बलूत" होइ) लिंग क आखिरी सिरा प रहत एक गुदगुदा सरंचना अहइ, जे नर मनई क सबसे संवेदनशील कामेन्द्रिय अउर यौन सुख क मुख्य स्रोत अहइ।
लिंगमुण्ड मनई अउर ज्यादातर दूसर जानवरन मा नर प्रजनन अंग मा रहत अहइ, अउर ई चिक्कन, कांटेदार, लंबा या बँटल होइ सकत अहइ। ई बाहर से श्लैष्मिक ऊतक से ढँकल रहत ह, जे एक चिक्कन बनावट अउर चमकदार रूप देथ। मनई मा, लिंगमुण्ड, लिंग क गुफानुमा ऊतक क आखिरी सिरा प रहत अउर लिंग क स्पंज समान ऊतक क निरंतरता अहइ। एकर सबसे ऊपर मूत्र मार्ग (urinary meatus) रहत, अउर नीचे क ओर कोरोना ग्लैंडिस (corona glandis) बनत। एक लोचदार ऊतक, जऊन फ्रेनुलम (frenulum) कहइ जात ह, एकर निचला हिस्सा प रहत।
जे मनई खतना न करवाइत अहइ, उनकर लिंगमुण्ड पूरा या कुछ हद तक एक चमड़ी क परत (अग्रचर्म या foreskin) से ढँकल रहत। बड़का मनइन मा, ई चमड़ी हाथ से या कई बार खुदे खींचिके लिंगमुण्ड क ऊपर से हटा सकत ह, खासकर जब लिंग उत्तेजित रहत।
नर भ्रूण क विकास क दौरान, लिंगमुण्ड जनन कंकड़ (genital tubercle) क अंतिम छोर प बनत अहइ। जनन कंकड़, गर्भस्थ शिशु (भ्रूण) क पूंछ की ओर निकलब एक उभार अहइ, जऊन नर अउर मादा दुनु भ्रूण मा रहत ह अउर बाद मा एक प्राथमिक फालस (primordial phallus) मा बदल जात ह। नर हार्मोन (एंड्रोजन) क प्रभाव से ई कंकड़ लिंग मा विकसित होइ लगत ह, अउर एही कारण लिंगमुण्ड अउर स्त्री क भगलिंगमुण्ड (clitoral glans) समजात अंग (homologous) अहइं।
संरचना
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]लिंगमुण्ड लिंग क अंतिम सिरा प स्थित एक गुदगुदा अउर संवेदनशील संरचना अहइ। ई मुख्य रूप से स्पंजी ऊतक (corpus spongiosum) क विस्तार से बनल अहइ, जऊन मूत्रमार्ग क चारों ओर रहत ह।
कोरोना ग्लैंडिस (corona glandis) लिंगमुण्ड क आधार प रहत एक उठा हिस्सा अहइ, जे ओकर ऊपरी सतह से स्पष्ट रूप से अलग देखाइ देथ।
लिंगमुण्ड क निचला हिस्सा प फ्रेनुलम (frenulum) रहत ह, जे एक लोचदार ऊतक अहइ अउर अग्रचर्म (foreskin) क लिंगमुण्ड से जोड़त ह।
अगर मनई खतना न करवाइत, त लिंगमुण्ड आंशिक या पूरा अग्रचर्म से ढँकल रहत ह, जेकरा हाथ से या अपने आप (जब लिंग उत्तेजित होइ) खींचिके हटाइ सकल जाथ।
स्नायुविक आपूर्ति (Innervation)
लिंगमुण्ड अउर फ्रेनुलम क स्नायविक आपूर्ति द्विपार्श्वीय पृष्ठीय लिंग तंत्रिका (dorsal nerve of the penis) अउर पेरिनियल तंत्रिका (perineal nerve) से होइथ, जऊन दुनु पुडेंडल तंत्रिका (pudendal nerve) क शाखा अहइं।
पृष्ठीय तंत्रिका क शाखा लिंगमुण्ड क किनारन (ventrolateral) तक फैलत ह अउर तीन-आयामी (3D) तंत्रिकीय जाल बनावत ह। ई शाखाएँ छोटे-छोटे तंत्रिकीय गुच्छन मा बँटके लिंगमुण्ड क ऊतक मा अंदर तक पसरत ह। लिंगमुण्ड क घना तंत्रिकीय संजाल एकर मुख्य यौन संवेदनशील संरचना होइ के प्रमाण देथ।
हाला अउर स्पाथे (Halata & Spathe) क अनुसार, लिंगमुण्ड मा मुख्य रूप से मुक्त तंत्रिकीय अंत (free nerve endings) रहत ह, जऊन स्पर्श संवेदनशीलता क कारण बनत ह। साथे-साथ, एमा जनन एंड बल्ब (genital end bulbs) क प्रचुरता देखल जात ह, विशेष रूप से कोरोना ग्लैंडिस अउर फ्रेनुलम क पास।
कुछ विशिष्ट तंत्रिकीय संरचनाएँ जऊन लिंगमुण्ड मा मौजूद रहत:
मुक्त तंत्रिकीय अंत – अत्यधिक संवेदनशीलता के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी
जनन एंड बल्ब – स्पर्श और संवेदनशीलता बढ़ावत
रुफ़िनियन कर्पसकल (Ruffinian corpuscles) – दबाव और खिंचाव के प्रति संवेदनशील
पैसिनियन कर्पसकल (Pacinian corpuscles) – गहरे दबाव के प्रति संवेदनशील
लेकिन, मेर्केल (Merkel) अउर मैस्नर (Meissner) कर्पसकल, जऊन आमतौर प मोटा चमड़ी (glabrous skin) मा पावल जाथ, लिंगमुण्ड मा मौजूद नइखेन।
लिंगमुण्ड मा पावल तंत्रिकीय अंत क घनत्व सबसे अधिक कोरोना ग्लैंडिस अउर फ्रेनुलम क पास होइथ, जऊन एह हिस्सा क अत्यधिक संवेदनशील बनावत ह।