रामायण:संशोधन के बीच अंतर

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'''रामायण''' आदि कवि [[वाल्मीकि]] द्वारा लिखल् [[संस्कृत]] कय एकठो अनुपम [[महाकाव्य]] होय। एहमा २४,००० [[श्लोक]] हैं। ई हिन्दू [[स्मृति]] कय उ अंग होय जवने कय माध्यम से [[रघुवंश]] कय राजा [[राम]] कय गाथा कही गा है। एका [[आदिकाव्य]] भी कहा जाता है। रामायण कय सात अध्याय हैं जवने कय [[काण्ड]] कय नाव से जाना जात हय।
'''रामायण''' आदि कवि [[वाल्मीकि]] द्वारा लिखल् [[संस्कृत]] कय एकठो अनुपम [[महाकाव्य]] होय। एहमा २४,००० [[श्लोक]] हैं। ई हिन्दू [[स्मृति]] कय उ अंग होय जवने कय माध्यम से [[रघुवंश]] कय राजा [[राम]] कय गाथा कही गा है। एका [[आदिकाव्य]] भी कहा जाता है। रामायण कय सात अध्याय हैं जवने कय [[काण्ड]] कय नाव से जाना जात हय।
रचनाकाल
=== रचनाकाल ===
== शीर्ष पाठ ==
कछू भारतीय कहत हैं कि ई महाकाव्य ६०० ईपू से पहिलै लिखा गवा रहै ।[2] ईके पीछे युक्ति यू है कि महाभारत जो ईके पश्चात आवा बौद्ध धर्म के बारे में मौन है यद्यपि ईमा जैन, शैव, पाशुपत आदि अन्य परम्पराओं का वर्णन करा गवा है। एहे करण रामायण गौतम बुद्ध के काल के पहिले का होएक चही। भाषा-शैली से भी यह पाणिनि के समय से पहिले का होएक चही।
कछू भारतीय कहत हैं कि ई महाकाव्य ६०० ईपू से पहिलै लिखा गवा रहै ।[2] ईके पीछे युक्ति यू है कि महाभारत जो ईके पश्चात आवा बौद्ध धर्म के बारे में मौन है यद्यपि ईमा जैन, शैव, पाशुपत आदि अन्य परम्पराओं का वर्णन करा गवा है। एहे करण रामायण गौतम बुद्ध के काल के पहिले का होएक चही। भाषा-शैली से भी यह पाणिनि के समय से पहिले का होएक चही।

२०:१३, ३० जनवरी २०१५ कय अवतरण

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखल् संस्कृत कय एकठो अनुपम महाकाव्य होय। एहमा २४,००० श्लोक हैं। ई हिन्दू स्मृति कय उ अंग होय जवने कय माध्यम से रघुवंश कय राजा राम कय गाथा कही गा है। एका आदिकाव्य भी कहा जाता है। रामायण कय सात अध्याय हैं जवने कय काण्ड कय नाव से जाना जात हय।

रचनाकाल

कछू भारतीय कहत हैं कि ई महाकाव्य ६०० ईपू से पहिलै लिखा गवा रहै ।[2] ईके पीछे युक्ति यू है कि महाभारत जो ईके पश्चात आवा बौद्ध धर्म के बारे में मौन है यद्यपि ईमा जैन, शैव, पाशुपत आदि अन्य परम्पराओं का वर्णन करा गवा है। एहे करण रामायण गौतम बुद्ध के काल के पहिले का होएक चही। भाषा-शैली से भी यह पाणिनि के समय से पहिले का होएक चही।