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'बटोही' कै छोटहन झलक ( समीक्षा )

वर्ष एक अङ्क एक कै रूप मे प्रकाशित अवधी भाषा कै द्वैमासिक साहित्यिक पत्रिका ' बटोही ' साहित्यकार औ पत्रिका कै स्थानीय व्यवस्थापक शिवनन्दन जायसवाल कै मार्फत हाथ मे पडेक बाद साहित्य कै एक विद्यार्थी होय कै नाते खुशी कै कौनो जवाफ नायी रहा । सब से पहिले यी साहित्यिक पत्रिका छापेम अहम् भुमिका खेलेवाले सब लोगन कै हम खुले दिल से धन्यवाद दिएक चाहित हन औ यी साहित्यिक पत्रिका कै छापेक निरन्तरता कै खातिर शुभकामना व्यक्त करेक चाहित हन । विक्रममणि त्रिपाठी कै प्रकाशन औ सम्पादकत्व मे प्रकाशित यी पत्रिका मे रामचन्द्र पाण्डेय के लैके सात लोग सल्लाहकार औ विक्रममणि त्रिपाठी कै लैके सात लोग सम्पादक रूप मे काम करत हैं । राघवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव कै लैके छ लोग स्थानीय व्यवस्थापक कै रूप मे जिम्मा लिहा यी पत्रिका जि.प्र.का. काठमाडौं मे ४०/२०७१/७२ न. के रूप मे दर्ता है । उपर कभर कै पृष्ठ मे अवधी साहित्यकार स्व. विश्वनाथ पाठक कै तस्बिर छपा येंह साहित्यिक पत्रिका मे कुल मिलायजुलाय कै सोरा ठौरा लेख-रचना समेटा गवा है । ' अवधी भाषा कै आदिकवि कुक्करीपा ' शिर्षक पे जीवनीपरक समालोचनात्मक आलेख समेटा गवा है । वैसे सच्चिदानन्द चौबे के द्वारा लिखा समालोचनात्मक आलेख ' नेपालमा अवधी कै प्राचीन परम्परा ' हंसावती कुर्मी कै द्वारा लिखा आलेख ' अवधी लोक जीवन औ पर्यावरण ' तेजबहादुर निषाद कै द्वारा लिखा आलेख ' निषाद बंश कै संस्कृति ' औ सम्पादक कै द्वारा लिखा आलेख ' अवधी संस्कृति कै उन्नायक पाठक जी कै निधन ' औ  ' पाण्डेय जी कै निधन से अपूर्णीय क्षति '  येंहमा समेटा गवा है । वैसे ही नयनराज पाण्डे , विजय वर्मा , मोदिनी कुमार केवल , लोकनाथ वर्मा औ पूजा हमाल कै द्वारा लिखा क्रमशः ' शासन ' , ' टुटत भ्रम ' ,  'सपना ' ' शास्त्रार्थ ' औ ' भूत कै चुरकी ' शिर्षक पे कथा समेटा गवा है । वैसे ही गजेन्द्रनाथ शुक्ल औ सच्चिदानन्द चौबे कै द्वारा लिखा क्रमशः ' जइसे बेटवा वइसे बिटिया ' औ ' अपने मातृभाषा ' शिर्षक पे कविता समेटा गवा है । वैसे दु:ख हरण यादव कै द्वारा लिखा गजल , सविता चौधरी कै द्वारा लिखा ' झलुवा कै गीत ' औ अकिञ्चन शाक्य कै द्वारा लिखा गीतिलय कै रचना ' रजाईबिन ' येंहमा समेटा गवा है । कुछ लेख रचना कै नेपाली उल्था भी किया गवा है । पत्रिका कै अन्तिम पृष्ठ मे कुछ अवधी मे लिखा पुस्तक कै छोटहन मे परिचय सहित प्रचारप्रसार किया गवा है । लेमिनेटेड रङ्गीन कडा कभर मे प्रकाशित येंह पत्रिका मे कुछ विज्ञापनवा समेटा गवा है । कौनो भी भाषा मे पत्रिका प्रकाशन कै शुरुआत करब आसान होत है लेकिन निरन्तरता दियब कठिन होत है । येंह पत्रिका कै निरन्तरता कै खातिर फिर एक बेर शुभकामना व्यक्त करत आवेवाला दिन मे आउर उत्कृष्ट लेख रचना प्रकाशित होयी कै के उम्मीद करित हन ।