अत्रि

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अत्रि
राम औ अत्रि कय भेट
वर्गब्र्ह्मऋषि
बालबच्चादुर्वासा,चन्द्र औ दत्तात्रय

अत्री यक बैदिक ऋषि होंय, यन ब्रम्हा जी कय मानस बेटवन में से यक रहें। चंद्रमा, दत्तात्रेय औ दुर्वासा यी तीन बेटवैं रहें। अग्नि, इंद्रहिंदू धर्म कय अउर बैदिक देवतन कय बड़ा गिन्ती में भजन लिखैक जस दइ जात हय। अत्री हिंदू परंपरा मा सप्तर्षि (सात महान बैदिक ऋषिन) में से यक होंय, औ सबसे ढेर ऋग्वेद में यनकय नांव आवत है।[१] अयोध्या कय राजा श्रीराम अपने बनबास काल मे सीता औ भाई लक्ष्मण कय साथे अत्री ऋषी कय आश्रम चित्रकुटमे गये रहें। अत्री ऋषी सती अनुसया कय पती रहें। सती अनुसया सोरा सतिन मे से एक रहीं जे अपने तप बलसे ब्रम्हा,विष्णु,महेश कय छोट लरिका बना दिहे रहिन।पुराणन में कहि गा है तीनों देब लोग माता अनुसूया कय बरदान दिहे रहें, कि हमरे आप कय बेटवा रूप में आप कय गर्भ से जनम लेवा जाई उहै तीनों चंद्रमा(ब्रम्हा) दत्तात्रेय (विष्णू) औ दुर्वासा (शिव) कय अवतार होयं।

सन्दर्भ[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]

  1. Antonio Rigopoulos (1998). Dattatreya: The Immortal Guru, Yogin, and Avatara. State University of New York Press. पपृ॰ 2–4. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7914-3696-7.