अवध के इतिहास
अपने भारत देसवा कय सभ्यता पूरे संसार मा पुरान सभ्यतन मा से एक मानी जात है| भारत कय इतिहास मा अवध कय धरती कय प्राचीन काल से बड़ा योगदान रहा है| अवध क्षेत्र कय सभ्यता औ संस्कृति समुल्ले भारत सहित विदेसन मा आपन झंडा गाडिस है| कुल देशवा का एक सूत्र मा जोड़े जैसन महत्वपूर्ण काम अवधी संस्कृति किहिस है| भारतय नहीं पूरे दुनिया मा राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक औ साहित्यिक रूप से समृद्ध अवध कय धरती आपन महत्वपूर्ण स्थान राखत है| अवध क्षेत्र मा बोली जाये वाली अवधी भाषा एक ऐसन आन्दोलन है जौन कौनो औरे भाषा मा नाही देखाए पड़त है|
श्री राम के नाम से विख्यात अवध के प्रतापी राजा श्री राम चन्द्र जी पूरे भारतवर्ष का ऐसन सूत्र मा पिरोयिन की ऊ आजतक वैसन विद्यमान है| एकर अंदाजा ऐसन लगावा जाये सकत है कि अगर भारत के इतिहास से श्री राम चन्द्र के इतिहास निकार दीन जाये तौ बाकी कुछ बचबे न करी| धार्मिक भावना और श्रद्धा से भारत का कन कन मा समाहित श्री राम भारत के जनमानस के ऐसन प्राणतत्त्व है जौन जीवन का नवीन उर्जा प्रदान करत है| श्री राम के इतिहास उत्तर भारत से दक्खिन भारत, अउर बंगाल से पंजाब तलक सबके जीवन के ताईं एक प्रेरणा श्रोत रहा है|
हियाँ नबाबन के राज रहा|
इ साईत अवध गजेटियर के हिसाब से अपने अवध क्षेत्र कय पूरा क्षेत्रफल २३.९३० वर्गमील है| अउर एकर विस्तार २५° ३४’ से २९° ६’ उत्तरी अक्षांश अउर ७९° ४५’ से ८३° ११’ पूर्वी देशांतर तक है| एकर उत्तरी सीमा नेपाल का छुवत है, दक्खिन मा गंगा, पच्छिम मा फ़रुक्खाबाद, शाहजहांपुर, कानपुर अउर पूरब मा जौनपुर, बस्ती अउर आजमगढ़ से घेरान है|