अवध
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अवध वर्तमान भारतके उत्तर प्रदेश और नेपालके कपिलवस्तु रुपन्देही, दाङ आदि मिलाके एक भाग का नाम है जो प्राचीन काल में कोशल कहलाता था। इसकी राजधानी अयोध्या थी। अवध शब्द अयोध्या से ही निकला रह। अवध की राजधानी प्रांरभ में फैजाबाद रही ,लेकिन बाद में लखनऊ उठ आए। अवध पर नवाबों कै आधिपत्य रहा जो प्राय: स्वतंत्र थे, चूंकि अवध के नवाब शिया मुसलमान रहे यही नाते अवध में इसलाम के येह संप्रदाय कै विशेष संरक्षण मिला। लखनऊ उर्दू कविता का भी प्रसिद्ध केंद्र रहा। दिल्ली केंद्र के नष्ट होये पे बहुत ठो दिल्लीउ कै प्रसिद्ध उर्दू कवि लखनऊ वापस चला आए रहिन । अवध की पारम्परिक राजधानी लखनऊ हुए।
भौगोलिक रूप से प्राचीन अवध कै भूमि के अंतर्गत भारतके कइ जिले और वर्तमान नेपालके कइयो जिले आवत हैं।
इतिहास
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]सन् 1765 ई. में बक्सर के युद्ध में अवध के नवाब हार गए, परंतु लार्ड राबर्ट क्लाइव ने अवध उनको लौटा दिया, केवल इलाहाबाद और कड़ा जिलों को क्लाइव ने मुगल सम्राट् शाहआलम को दे दिया। वारेन हेस्टिंग्ज़ ने पीछे नवाब की सहायता करके रुहेलखंड को भी अवध में सम्मिलित करा दिया और शाहआलम से अप्रसन्न होकर इलाहाबाद और कड़ा को अवध के नवाब के सुपुर्द कर दिया। 1775 ई. में अंग्रेजों ने अवध के नवाब से बनारस का जिला ले लिया और 1801 में रुहेलखंड ले लिया। इस प्रकार अवध कभी बड़ा, कभी छोटा होता रहा।
1856 में अंग्रेज़ों ने अवध को अपने अधिकार में कर लिया। 1857 के विद्रोह में अवध अंग्रेजों के हाथ से निकल गया था परंतु डेढ़ वर्ष की लड़ाई में अंतिम विजय अंग्रेजों की हुई। 1902 में आगरा और अवध के प्रांतों को एक में मिलाकर नया प्रांत बनाया गया जिसका नाम आगरा और अवध का "संयुक्त प्रांत" रखा गया, लिसे संक्षेप में "संयुक्त प्रांत" अथवा अंग्रेजी में केवल "यू.पी." कहा जाता था। इसी प्रांत का नामकरण उत्तर प्रदेश हो गया है जिसे अंग्रेजी में लिखे नाम के आदि अक्षरों के आधार पर अब भी "यू.पी." कहा जाता है।
इन्हें भी देखें
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