करवा चौथ
करवा चौथ | |
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करवा चौथ | |
आधिकारिक नाम | करवा चौथ |
अन्य नाम | करक चतुर्थी (संस्कृत) अट्ल तद्दि (तेलुगू) |
अनुयायी | हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी |
प्रकार | हिन्दू |
उद्देश्य | सौभाग्य |
तिथि | कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी |
समान पर्व | सकट चौथ (संकष्टी चतुर्थी) , अहोई अष्टमी, तीज , झुझिया |
करवा चौथ हिन्दू लोगन का एक प्रमुख त्यौहार हवे। ई भारत कय जम्मू,[१] हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश औ राजस्थान मा मनावा जाय वाला पर्व होय । ई कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का मनावल जाला. इ पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) मेहरारू मनावत हीं । इ व्रत सवेरे सूर्योदय से पहिले लगभग 4 बजे से आरम्भ होइके रात में चन्द्रमा दर्शन के उपरांत संपूर्ण होत है।
ग्रामीण महिला से लेके आधुनिक महिला तक सब नारी करवाचौथ का व्रत बड़ी श्रद्धा अउर उत्साह से रखती हैं। शास्त्रन के अनुसार ई व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी का दिन करे का चाही । पति की दीर्घायु अउर अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति खातिर इस दिन भालचन्द्र गणेश जी का अर्चना कीन जात है। करवाचौथ मा भी संकष्टी गणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखके रात मा चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करै का विधान है। वर्तमान समय मा करवाचौथ व्रतोत्सव अधिकतर महिला अपने परिवार मा प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनावति हैं लेकिन अधिकतर महिला निराहार रहिके चंद्रोदय का इन्तजार करत हैं।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का करकचतुर्थी (करवा - चौथ) व्रत करै का विधान है। इ व्रत कय खासियत इ अहै कि केवल सौभाग्यशाली स्त्रियन का इ व्रत करै का अधिकार अहै। औरत चाहे कौनो भी उम्र, जाति, वर्ण, संप्रदाय के होय, सबको ई व्रत करे का अधिकार है। जउन सौभाग्यवती (सुहागिन) मेहरारू अपने पति के उमर, स्वास्थ्य अउर सौभाग्य खातिर कामना करत हईं, ऊ ई व्रत रखत हईं।
प्रथम कथा
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]बहुत पहिले एक साहूकार क सात पूत अउर एक बहिन रही। सातों बहिनियां ला, संग मा तैं लाबे वो। उ पचे ओह पइ थूकत जात रहेन अउर घुटनवन प निहुरिके ओकरे अगवा दण्डवत करत रहेन । एक बार उनकर बहिन ससुराल से मायके आई रही । सांझ के जब भाई आपन धंधा - धंधा बंद करके घरे आईल त देखले कि उनकर बहिन बहुत परेशान बिया. सब भाई खाना खाए बइठ गइन अउर अपनी बहिन से भी खाना खाये क आग्रह करेन्ह, पर बहिन बताइस कि आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है अउर ऊ खाना केवल चन्द्रमा का देखके ओका अर्घ्य देके ही खा सकत है। चूँकि चाँद अबहीं नाहीं निकरा अहइ, तउ उ भूख स तड़पत रही । छोटका भाई आपन बहिन क हालत नाहीं देख पावा करत ह अउर उ दूर पीपल क पेड़ प एक दीपक जलाइके चलनी क ओट मँ रख देत ह। दूर से देख रहे हो तो ऐसा लग रहा है जैसे चतुर्थी का चाँद उग रहा हो। एकरा बाद भाई अपनी बहिन से कहता है कि चांद निकला है, तू ओका अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती है, बहन खुशी से सीढ़ी पर चढ़कर चन्द्रमा को देखती है, अउर अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जात है
उ पहिले टुकड़ा क मुँह मँ धरत ह अउर तब ओका छींक लागत ह । दूसर टुकड़ा डाले मा बाल निकरत हैं अउर तीसर टुकड़ा मुँह मा डाले के कोशिश करत हैं त उनका पति के मउत के खबर मिल जात है। ऊ खिन्न भई । ओकर भउजी ओका सच बताएस कि ओकरे संग का घटी । करवाचौथ का व्रत गलत तरीका से तोड़ै के कारन देवता उन से नाराज होइ गे हैं अउर ऊ ऐसा ही करिन हैं। सच्चाई का जाने के बाद करवा निश्चय करत है कि उ अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देई अउर अपने सतीत्व से उनका पुनर्जीवित करा के रही। उ अपने पति क दफनाए भए टेमॅ तक ओकरे लगे बइठि जात रही। अउर ओका धियान स लखइ द्या। उ सूइनुमा घास क बटोरत ह जउन ओकरे ऊपर उगी रही । एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। ओकर सब भाइयन करवा चौथ का व्रत रखे हईन। जब भउजी लोग ओसे आशीर्वाद लेइ आवत हीं तउ उ हर भउजी स आग्रह करत ह, 'यम सूई ल्या, पिय सूई द्या, मोका भी आपन सास बनाइ द्या' मुला हर बार भउजी ओका अगली भउजी स आग्रह करइ बरे कहि जात ह ।
इ तरह जब छठवें नंबर क भाभी आवत ह तउ करवा ओसे भी यही बात दोहरावत ह । इ भाभी ओसे कहत ह कि चूँकि सबसे छोट भाई क कारण ओकर व्रत तोड़ा गवा रहा, तउ ओकरे पत्नी क लगे ही इ ताकत अहइ कि उ तोहरे पति क फिन स जिन्दा कइ देई, एह बरे जब उ आइ तउ तू ओका पकड़ ल्या अउर जब तलक उ तोहार पति क जिन्दा न कइ देई तू ओका छोड़िके न जा। "अइसेन कहत भए उ स्त्री चुप रहि गइ। आखिर मा छोटकी भाभी आयीं। करवा उनका भी सुहागिन बने का आग्रह करत है, लेकिन ऊ टालमटोल करत है. जब ओका इ पता लाग तउ उ ओका आपन कोरा मँ लइ लिहेस अउर ओका आपन भाई क जिअइ बरे वापस जाइ बरे कहेस । भाभी ओकरा से छुटे खातिर नाचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ी।
आखिर मा उनकर तपस्या देख भाभी पसीन पड़ जाथिन अउर आपन छोटका अँगुरी फाड़के अमृत के अपने पति के मुँह में डाल देथिन । करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहत उठि बइठत है। इ प्रकार प्रभु कृपा कइके आपन छोट भाभी क जरिये करवा क आपन सुहाग वापस मिल जात ह । हे श्री गणेश माँ गौरी जइसे करवा को चिर सुहागन का वरदान आप से मिला है, वैसे ही सब सुहागिन का मिले।
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करवा चौथ के पूजन थाली
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करवा चौथ के पूजन प्रक्रिया
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करवा चौथ के पूजा कराती महिलाएँ
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करवा चौथ के पूजन सामग्री
सन्दर्भ
[सम्पादन | स्रोत सम्पादित करैं]- ↑ Excelsior, Daily (2021-10-24). "Women celebrating Karwa Chauth in Jammu on Sunday. — Excelsior/Rakesh". Jammu Kashmir Latest News | Tourism | Breaking News J&K (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-10-27.